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क्या सच में ‘नमो ! नमो ! नमो ! ‘ हो सकता है ? :अंकुर मिश्र ‘युगल’

सत्य ,साहित्य और समाज....
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नमो ! नमो ! नमो ! की गूंज ने जिस तरह से पूरे देश में तहलका मचा रखा है क्या वो सच में देश का उद्धार करने में सक्षम है ! नरेंद्र मोदी देश के लिए आज एक ऐसा नाम है जिसे प्रधानमंत्री बनाने के लिए लगभग सभी की मुहर लग चुकी है ! यहाँ सभी से मतलब उस अधिकतम प्रतिशतता से है जो इन्हें भारत के अगले प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें देखना चाहते है , प्रसंशको में देखे तो इनके विपक्ष के राजनेता भी इस सख्शियत में देश का अगला प्रधानमंत्री देख रहे है ! इन सबके पीछे है केवल एक कारण गुजरात का विकास ,
गुजरात में इन्होने ‘रूरल’ और ‘अरबन’ दोनों  क्षेत्रो को ध्यान में रखकर ‘ररबन’ विकास की जो नीव राखी उसकी सराहना केवल भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में हुयी ! विश्व की बड़ी सभाओ में अपने विकास के कदम बताने के लिए बुलाये जा चुके नरेन्द्र मोदी क्या सच में देश के अगले प्रधानमंत्री हो सकते है ये भाजपा से लेकर सभी पार्टियों केसामने बड़ा प्रश्न है ! देखा जाये तो खुद नरेन्द्र मोदी ने अपनी इस मुहीम के लिए प्रचार प्रसार शुरू कर दिया है ! बाबा रामदेव से मिलना , भाजपा के बड़े नेताओ को बार बार गुजरात बुलाना , कई बार दिल्ली आना , बड़ी सभाओ के राजनैतिक भाषण तो यही दिखाते है की वो खुद को वो भाजपा से अगली पंचवर्षीय के प्रधानमंत्री पद के दावेदार मान चुके है !
लेकिन अभी भी प्रश्न अनेक है , क्या केवल उनके या आम जनता के सोचने से वो प्रधानमत्री बन जायेगे ??
उनकी राजनैतिक प्रष्टभूमि जो रही है क्या उनके प्रधानमंत्री बनाने के लिए सही   है  ? क्या देश को ऐसा प्रधानमत्री चाहिए जो देश के लिए कभी भी सांप्रदायिक हो सकते है ?
इन सभी प्रश्नों के आलावा उनके सामने अनेक ऐसे प्रश्न भी है जिन्हें उनकी खुद की पार्टी ने खड़ा किया है , कई बार लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा भाजपा अभी भी उनके स्वप्नों की पार्टी नहीं है , पार्टी के अन्दर ही कई राजनेता उनके प्रधानमंत्री बनाने का खिलाफ है, और खुद नरेन्द्र मोदी क्या अपने राजनैतिक गुरु लाल कृष्ण आडवानी के होते हुये प्रधानमंत्री बनना चाहेगे !

अभी कुछ समय पहले नरेन्द्र मोदी ने इण्डिया टुडे के एक सम्मलेन में कहा- जनता उन्हें बुला रही है , जनता उनसे कह रही है भारत को भी गुजरात बनाना है !
आखिर ये शब्द उन्होंने सुने कहा से , क्या राजनीती में कल्पनाओं में ही सच्चाई है ? यदि देश की जनता उन्हें बुला रही है तो वो पिछले लोकसभा चुनावो में क्यों नहीं आये !  खैर मामला कुछ भी लेकिन मामला संदिग्ध है ! जिस तरह से उन्होंने जल्दी जल्दी में ही बाबा रामदेव , आर.एस. एस. प्रमुख , भाजपा प्रमुख से नजदीकियां बढ़ने की कोशिश की है इससे तो यही लगता है उन्हें प्रधानमंत्री बनने की बहुत जल्दी है और वो इसके लिए खुद को उम्मीदवार भी घोषित कर चुके है !

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